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मेरे दादाजी के पास इतनी बड़ी लाठी थी के जब बारिश नहीं होती तो वो बादल को खनका खनका के बारिश करवाते थे . चिक्केन के शौकीन, हड्डी के उपर चड़ा मॉस खाने के बाद हड्डी के अन्दर जमे मॉस को भी चूस चूस कर खाते थे.
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