उनके किताब के पन्नो के बीच कागज़ का एक टुकड़ा छिपा कर रख देते.. रात को जब वो अपना बस्ता पढने के लिए खोलती तो उसे वो कागज़ का वह टुकड़ा मिलता जिसमे दिल की बात लिखी गयी है, तब जाकर शायद प्यार की नैय्या आगे बढ़ती .और अगर यह टास्क सुच्सस्स्फुल हो जाता ..या फिर वही रूक जाता ..
रात को लड़के का "telephone" आता है.
drawing रूम में बैठी निशा डैड को कहती " डैड बहुत दिन हो गए न्यूज़ नहीं देखा .
अपनी बिटिया को आश्चर्य भरे नज़रो से देकते या फिर ऐसा कोई शो देखने का जिद करती जो वो पसंद नहीं करते और खुद ही उठ कर चले जाते है.
अब वो telephone के बगल बैटी उसके कॉल का इंतज़ार करती है .
घडी की दोनों सुईया आपस में मिल चुकी है पर कॉल नहीं आता .
उधर लड़के को जो अक्सर( राज रवि अमित या सेम) होता है
डर होता है की "telephone" उनके पिताजी उठानएंगे या उनकी स्वीटहॉट
" सुनो तुम मुझे आज के बाद से अपने घर के नज़दीक "सिक्केवाले फ़ोन" से फ़ोन मत करना ..
डैड ने कालर ईडी लगा दिया है..
इसमें सब के नंबर आ जाते है .
फिर लड़का कागज़ में पत्थर डाल कर उसके खिड़की की ओर फेकता है
और टास्क successful हो जाता है ..या फिर वही रूक जाता है .
काश उस ज़माने में मोबाइल होता . वह sms करता जो ठीक (निशा, रीमा या कह लीजिये रिधिमा) के जींस के पीछे वाले पोकेट में vibration करता -"स्वीट कैन वी टॉक ?
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